सूरए अल लहब मक्की है और इसकी पाँच (5) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
अबु लहब के हाथ टूट जाएँ और वह ख़ुद सत्यानास हो जाए (1)
(आखि़र) न उसका माल ही उसके हाथ आया और (न) उसने कमाया (2)
वह बहुत भड़कती हुयी आग में दाखि़ल होगा (3)
और उसकी जोरू भी जो सर पर ईंधन उठाए फिरती है (4)
और उसके गले में बटी हुयी रस्सी बँधी है (5)
सूरए अल लहब ख़त्म