सूरए अत तकासुर मक्का में नाजि़ल हुआ और इसमें आठ (8) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
कुल व माल की बहुतायत ने तुम लोगों को ग़ाफि़ल रखा (1)
यहाँ तक कि तुम लोगों ने कब्रें देखी (मर गए) (2)
देखो तुमको अनक़रीब ही मालुम हो जाएगा (3)
फिर देखो तुम्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा (4)
देखो अगर तुमको यक़ीनी तौर पर मालूम होता (तो हरगिज़ ग़ाफिल न होते) (5)
तुम लोग ज़रूर दोज़ख़ को देखोगे (6)
फिर तुम लोग यक़ीनी देखना देखोगे (7)
फिर तुमसे नेअमतों के बारें ज़रूर बाज़ पुर्स की जाएगी (8)
सूरए अत तकासुर ख़त्म